रजनीगंधा की खेती कैसे करें
किसान भाईयों को मेरा नमस्कार.
आज में खेती बाड़ी के अंतर्गत रजनीगंधा की खेती के बारे में जानकारी दे रही हूं. ताकि रजनीगंधा की खेती से भरपूर उपज प्राप्त की जा सके. फूलों की खेती करने वाले किसान भाई रजनीगंधा की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. रजनीगंधा एक खुशबूदार फूल है, जो भारत में हर राज्यों में, हर गाँव में पाया जाता है।
रजनीगंधा की व्यावसायिक खेती पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक, तामिलनाडु और महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा
रजनीगंधा के पौधे की रोपाई बल्ब यानी कंद से की जाती है।, पंजाब, तथा हिमाचल प्रदेश होती है।
इसके पौधे पर 80 दिन से 90 दिनों के बाद फूल आने लगते है।
इसकी खेती हर तरह की मिट्टी में की जा सकती है, विशेषकर ये बलुई-दोमट या दोमट मिट्टी में अधिक उगता है।
मैदानी क्षेत्रों में अप्रैल से सितम्बर और पहाड़ी क्षेत्रों में जून से सितम्बर माह में फूल निकलते हैं।
ऐसी जगहों पर जहां दिन और रात के तापमान में अत्याधिक अन्तर न हो पूरे साल उगाया जाता है।
मैदानी भागों में यह सम शीतोष्ण मौसम में अप्रैल माह से नवम्बर माह तक आसानी से उगाया जा सकता है।
रजनीगंधा की खेती समस्त हलकी से भारी, जो हलकी अम्लीय या क्षारीय है, में की जा सकती है,
खेत की अच्छी तैयारी व जल निकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
रजनीगंधा के लिये भूमि का चुनाव करते समय दो बातों पर विशेष ध्यान दें।
पहला, खेत या क्यारी छायादार जगह पर न हो, यानी जहां सूर्य का प्रकाश भरपूर मिलता हो,
दूसरा, खेत या क्यारी में जल निकास का उचित प्रबंध हो।
यदि आप रजनीगंधा के फूल साल भर प्राप्त करना चाहते है तो कंद का रोपण 15 दिन के अन्तराल पर करें.
रोपण के लिए किए जाने वाले कंद का आकार दो सेंटीमीटर व्यास का
या इस से बड़ा होना चाहिए।
खेतों में रोपण के लिए हमेशा स्वस्थ और ताजे कंद ही इस्तेमाल करें।
रजनीगंधा की खेती करने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें और साथ ही उसमे जल निकासी के लिए उचित प्रबंध करें.
इसके लिए सबसे पहले खेत की मिटटी को मुलायम और बराबर कर लें.
जैसा कि हम सभी जानते है कि रजनीगंधा के पौधे कंद के द्वारा उगते है
इसलिए कंद के समुचित विकास के लिए खेत की तैयारी विविध प्रकार से करनी चाहिए.
रजनीगंधा के खेत में खरपतवार नहीं होना चाहिए.
कंद का रोपण उसके आकार और भूमि की संरचना के अनुसार चार या आठ सेंटीमीटर की गहराई पर करें.
दो लाइनों के बीच की दूरी 20 सेंटीमीटर से लेकर 30 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए.
इसी तरह एक बल्ब से दूसरे बल्ब का रोपण 10 सेंटीमीटर से लेकर 12 सेंटीमीटर की दुरी पर करना चाहिए
कंद का रोपण करते समय भूमि में पर्याप्त नमी होना चाहिए। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग 1200 से लेकर 1500 किलो ग्राम कंदों की आवश्यकता होगी
रजनी गंधा की फसल में फूलों की अधिक पैदावार लेने के लिए उसमें आवश्यक मात्रा में जैविक खाद और कम्पोस्ट खाद का होना जरुरी है।
इसके लिए एक एकड़ भूमि में लगभग 25 टन गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद देना चाहिए।
नाइट्रोजन तीन बार बराबर-बराबर मात्रा में देना चाहिए।
एक तो रोपाई से पहले, दूसरी इस के करीब 60 दिन बाद तथा तीसरी मात्रा तब दें जब फूल निकलने लगे।
कंपोस्ट, फास्फोरस और पोटाश की पूरी खुराक कंद रोपने के समय ही दे दें।
कंदों के रोपण के समय खेतों में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है
और ध्यान रहे जब कंद के अंकुर निकलने लगे तब सिंचाई ना करें।

गर्मी के मौसम में फसल में पांच से सात दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें.
इसी तरह से सर्दी के मौसम में 10 से 12 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार सिचाई करें.
आप जब भी खेत में सिंचाई की योजना बनाएं तो मौसम की दशा,.. फसल की वृद्धि,.. अवस्था और भूमि के प्रकार को ध्यान में रखकर बनाएं.
यदि खेतों में खरपतवार उग जाते है तो आवश्यकतानुसार माह में कम से कम एक बार खुरपी की मदद से हाथ द्वारा खरपतवार निकालना या निराई गुड़ाई करना चाहिए.
निराई गुड़ाई के लिए मशीन आदि का उपयोग न करें इससे कंद को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है.
वैसे तो रजनी गंधा में कीड़े एवं बीमारियाँ नहीं लगती है।
फिर भी सावधानी के तौर पर आप चाहे तो कीट नियंत्रण के लिए नीम का काढ़ा, गौमूत्र के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार करके छिड़काव करना चाहिए।
रजनी गंधा में लगभग तीसरे माह से लेकर पांचवें माह के बाद फूल आते है
कटफ्लावर प्राप्त करने के लिए पूरी स्पाईक पौधे से काटकर अलग करते है
स्पाईक काटने से पूर्व ध्यान रहे उस पर एक या दो जोड़े फूल खिल जाने पर ही उसे काटे।
रजनीगंधा के फूलों से तेल प्राप्त करने के लिए यदि आप किसी कंपनी को फूल बेचने वाले है तो लूज फूलों को स्पाईक से तब जोड़े जब फूल पूरी तरह से खिले हो।
औसतन प्रति दिन 4 या 5 फ्लोरेट स्पाईक तोडा जा सकता है
इस प्रकार ५० किलो फ्लोरेट प्रति हेक्टर काटा जा सकता है।
रजंनीगंधा के फूलों की पैदावार प्रथम वर्ष में 150 क्विटंल से लेकर 200 क्विंटल प्रति हेक्टर के आसपास होती है
लेकिन दूसरे वर्ष में रजंनीगंधा के फूलों की पैदावार 200 क्विटंल से 250 क्विंटल तक होती है।
इसके बाद खेतों में रजंनीगंधा के फूलों की पैदावार घट जाती है
रजनी गंधा की फसल से होने वाले आमदनी की बात करें तो इससे 2 लाख रूपए से 3 लाख रूपए स्पाईक प्रति हेक्टर
या 15 टन से 20 टन लूज फ्लावर और 15 टन से 20 टन प्रति हेक्टर बल्ब तथा लेट्स अतिरिक्त आमदनी के रूप में प्राप्त किए जा सकते है.
जो किसान फूलों की खेती करते है, वे रजनीगंधा की खेती करके सालभर भरपूर कमाई कर सकते है.
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