कम पानी में धान की खेती, अच्छी पैदावार
आज हम जानकारी दे रहे है कम पानी में धान की अच्छी पैदावार के लिए किसान भाईयों को क्या करना चाहिए. धान की खेती के लिए पानी की आवश्यकता होती है,
इसलिए धान की फसल ऐसे क्षेत्रों में उगाई जाती है जहां सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं।
लेकिन भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने अधिक पानी में धान की अच्छी पैदावार होने वाली धान की किस्मों की बजाय, ऐसे नई प्रजातियों के धान इजाजत किए है जो कि कम पानी में भी अच्छी पैदावार की जा सकती हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि समय पर अच्छी बरिश न भी हो तो किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
किसान अगर सतर्कता से काम लें तो वह सूखे की स्थिति से निपट सकते हैं।
दरअसल धान की कई ऐसी किस्में हैं जो न सिर्फ कम समय में पैदावार देती हैं, बल्कि इनको सिंचाई की भी
काफी कम आवश्यकता होती है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन जगहों में पानी की कमी है, या जहां बरसात कम हुई है ऐसी स्थिति में इन किस्मों का उपयोग किया जा सकता है।
यदि जुलाई माह में भी पर्याप्त बारिश नहीं होती है तो भी धान की कई ऐसी किस्में हैं जिनकी पौध जुलाई में तैयार करके अगस्त में रोपाई की जा सकती है।
धान की इन किस्मों में पूसा सुगंध 5,
पूसा बासमती 1121,
पूसा 1612,
पूसा बासमती 1509,
पूसा 1610 आदि शामिल हैं।
धान की यह प्रजातियाँ लगभग चार माह में पैदावार दे देती हैं।
जहाँ सिंचाई सुविधाओं का अभाव है और बरसात भी कम होती हो वहाँ ड्रिप सिंचाई, फव्वारा सिंचाई, पॉली हाउस तथा नेट हाउस जैसी आधुनिक सिंचाई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इन आधुनिक तकनीकों का प्रयोग कर कम सिंचाई के बावजूद अच्छी फसलें तैयार की जा सकती हैं।
इन आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित व मदद करने के लिए सरकार भी अनुदान दे रही हैं।
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